ना जाने कैसा रिश्ता है इस दिल का तुझसे..
धड़कना भूल सकता है पर तेरा नाम नही।
हमारी आरजूओं ने हमें इंसान बना डाला,
वरना जब जहां में आये थे बन्दे थे खुदा के।
रूठा हुआ है हमसे इस बात पर जमाना ,
की शामिल नहीं है फितरत में हमारी सर झुकाना।
जिन्हें देखने को तरस गयी थी निगाहे,
उन्हें देखकर बरस पड़ी आज मेरी निगाहें।
मैं याद तो हूँ उसे, पर ज़रूरत के हिसाब से,
लगता है मेरी हैसियत, कुछ नमक जैसी है।
प्यार आज भी तुझसे उतना ही हैं,
तुझे अहसास भी नही, और हमने जताना भी छोड़ दिया।
उन्हें शोक था अखबारों के पन्नो पर बने रहने का,
वक़्त ऐसा गुज़रा की वह रद्दी के भाव बिक गये।
सफ़र तुम्हारे साथ बहुत छोटा है मगर,
यादगार हो गये तुम अब ज़िंदगी भर के लिए।
बारिश में रख दूँ जिंदगी को ताकि धुल जाए पन्नो की स्याही,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी-कभी।
जख्म तो आज भी ताजा है बस वो निशान चला गया,
मोहब्बत तो आज भी बेपनाह है बस वो इंसान चला गया।
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